Electoral bond क्या होता है ?

क्या है चुनावी बॉन्ड?

चुनावी बॉन्ड एक तरह का वचन पत्र है। इसकी खरीदारी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं पर किसी भी भारतीय नागरिक या कंपनी की ओर से की जा सकती है। यह बॉन्ड नागरिक या कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को दान करने जरिया है। इसकी सहायता से कोई कंपनी किसी राजनीतिक पार्टी को दान दे सकती है भारत में इसकी शुरूआत 2017 से हुई।

कुछ देशों में राजनीतिक पार्टियों को सरकार के द्वारा वित्‍तीय सहायता दी जाती है लेकिन भारत में यह प्रणाली नही है इसके लिए इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड की शुरुआत की गई।

नावी बाध्यता को बढ़ावा देने और चुनावी निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए, भारत सरकार ने चुनावी धन के प्रवाह को पारदर्शी और संवेदनशील बनाने के लिए “चुनावी बॉन्ड” का प्रस्ताव लाया। चुनावी बॉन्ड एक प्रकार का चिट्ठा होता है जिसे कोई भी व्यक्ति, संस्था या कंपनी खरीद सकती है और इसे किसी राजनीतिक दल को दे सकती है। यह एक नामित मूल्य वाला इंस्ट्रूमेंट होता है, जिसे बैंकों के माध्यम से खरीदा और बेचा जा सकता है।

चुनावी बॉन्ड का मुख्य उद्देश्य अनावश्यक धन के चुनावी निधियों में न जाने के लिए होता है। यह चुनावी धन की प्रक्रिया को ट्रांसपेरेंट बनाने का प्रयास है। चुनावी बॉन्ड का खरीदार उसे किसी चुनावी दल को दे सकता है, लेकिन बॉन्ड के धारक का नाम गोपनीय रहता है। इसके अलावा, यह विशेष धनराशि को सीमित करके भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करता है।

चुनावी बॉन्ड का उपयोग केवल भारतीय नागरिकों द्वारा किया जा सकता है, और वह सिर्फ रुपये में होता है। इसका मान्यता का समय सीमित होता है और यह केवल निर्धारित बैंकों के माध्यम से खरीदा और बेचा जा सकता है। इसका मुख्य लक्ष्य भारतीय चुनाव प्रक्रिया को साफ़ और निष्पक्ष बनाना है, जो लोकतंत्र की स्थापना और उसकी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

चुनावी बॉन्ड का प्रयोग चुनावी दलों को निजी चंदा और धन दान के लिए साधारित किया जाता है। यह एक तरह का अनधिकृत नकदी का प्रवाह रोकने का प्रयास है, क्योंकि इसमें धनराशि का नामांकन गोपनीय रहता है। चुनावी बॉन्ड का मान्यता का समय सीमित होता है, और यह केवल विशिष्ट बैंकों के माध्यम से खरीदा और बेचा जा सकता है। इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को साफ़ और निष्पक्ष बनाना है, जिससे भ्रष्टाचार और गैर-निष्पक्षता को कम किया जा सके। यह एक प्रभावी तरीका है जिससे चुनावी दलों को अनावश्यक नकदी के इस्तेमाल से रोका जा सकता है और चुनावी निधियों की सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है।

इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड क्‍यों जरूरी है?

इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड क्‍यों जरूरी है जबकि किसी भी पार्टी को प्रत्‍यक्ष रूप से भी तो चंदा दिया जा सकता है । इसे किसी भी पार्टियों को दी जाने वाली राशि में पारदर्शिता लाने के लिए शुरू किया गया था, ताकि किसी राजनीतिक पार्टी के पास कहां से पैसे आ रहे हैं ये सभी के सामने हो. 2018 में शुरू की गई इस योजना के प्रावधानों के मुताबिक ये बॉन्ड किसी भी व्यक्ति के द्वारा अकेले या संयुक्त रूप से खरीदा जा सकता है.

गुप्त होती है दानकर्ता की पहचान
चुनावी बांड की खास बात ये है कि ये किसी भी पार्टी को दान देने वाले दानकर्ता का नाम गुप्त रखता है. यानी इसके जरिए किसी भी दानकर्ता की पहचान उजागर नहीं होती. हालांकि सरकार और बैंकों द्वारा दान देने वाले की वैधता को सुनिश्चित करने के लिए और ऑडिटिंग के लिए इसका रिकॉर्ड अपने पास रखते हैं.

 

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